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Hindi Shayari | नौशाद अली:चुनिंदा शेर बस एक ख़ामुशी है - Naushad Ali Selected Shayari Collection - Hindi Shayari H

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नौशाद अली के शेर
नौशाद अली के शेर



बस एक ख़ामुशी है हर इक बात का जवाब

कितने ही ज़िंदगी से सवालात कीजिए 


आबादियों में दश्त का मंज़र भी आएगा
गुज़रोगे शहर से तो मिरा घर भी आएगा 
ज़माने को तो बस मश्क़-ए-सितम से लुत्फ़ लेना है
निशाने पर न हम होते तो कोई दूसरा होता 


नौशाल अली शेर

अश्क भर आए जो दुनिया ने सितम दिल पे किए
अपनी लुटती हुई जागीर पे रोना आया 

ये दुनिया हक़ीक़त की क़ाइल नहीं है
फ़साने सुनाओ फ़साने बहुत हैं 


ठोकरें खाइए पत्थर भी उठाते चलिए
आने वालों के लिए राह बनाते चलिए 

मैं ख़ुद भी तपिश जिस की सहते हुए डरता हूँ
अक्सर मिरे नग़मों ने वो आग लगाई है


दुनिया कहीं जो बनती है मिटती ज़रूर है
पर्दे के पीछे कोई न कोई ज़रूर है 

ज़िंदगी मुख़्तसर मिली थी हमें
हसरतें बे-शुमार ले के चले 


करना है शाइरी अगर 'नौशाद' 
'मीर' का कुल्लियात याद करो


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