Hindi Shayri Anwar Jalalpuri: 'अनवर जलालपुरी' के चुनिंदा शेर, जलाए हैं दिए तो - Anwar Jalalpuri Top Selected Shayari Collection
Anwar jalalpuri ke sher, anwar jalalpuri ki shayari, anwar jalalpuri ki ghazal, अनवर जलालपुरी के शेर, अनवर जलालपुरी की शायरी, अनवर जलाल
मुसलसल धूप में चलना चराग़ों की तरह जलना
ये हंगामे तो मुझ को वक़्त से पहले थका देंगे
मैं ने लिख्खा है उसे मर्यम ओ सीता की तरह
जिस्म को उस के अजंता नहीं लिख्खा मैं ने
जलाए हैं दिए तो फिर हवाओं पर नज़र रक्खो
ये झोंके एक पल में सब चराग़ों को बुझा देंगे
नींद टूटी कि ये ज़ालिम मुझे मिल जाती है
ज़िंदगी को कभी सपना नहीं लिख्खा मैं ने
शादाब-ओ-शगुफ़्ता कोई गुलशन न मिलेगा
दिल ख़ुश्क रहा तो कहीं सावन न मिलेगा
अब गुज़री हुई उम्र को आवाज़ न देना
अब धूल में लिपटा हुआ बचपन न मिलेगा
न जाने क्यूँ अधूरी ही मुझे तस्वीर जचती है
मैं काग़ज़ हाथ में लेकर फ़क़त चेहरा बनाता हूँ
मैं अपने साथ रखता हूँ सदा अख़्लाक़ का पारस
इसी पत्थर से मिट्टी छू के मैं सोना बनाता हूँ
अता हुई है मुझे दिन के साथ शब भी मगर
चराग़ शब में जिला देता है हुनर मेरा
मैं ग़म को खेल समझता रहा हूँ बचपन से
भरम ये आज भी रख लेना चश्म-ए-तर मेरा