सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता



आज जब पिया दफ्तर से आई तो घर में रिश्ते की बात चल रही थी।माँ पापा बात कर रहे थे लेकिन पिया के चेहरे पर कोई भाठ नही थे,ना ही खुशी, ना गुस्सा ,ना झिझक। सपाट सा चेहरा लिये वो वहाँ से उठकर दूसरे कमरे में चली गयी।

पिया गुप्ता जी की बड़ी बेटी थी।एम.बी.ए करने के बाद मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब कर रही थी।

गुप्ता जी पिया के विवाह के लिये चिन्तित थे और बड़ी शिद्दत से अपनी बिरादरी का कोई सुयोग्य ठर तलाश कर रहे थे। पिया के बाद छोटी बेटी काव्या की भी ज़िम्मेदारी अभी गुप्ता जी पर थी, इसलिए पिया की शादी करके वो ज़िम्मेदारी से ज़ल्द ही मुक्त होना चाहते थे।

दो दिन पहले ही किसी रिश्तेदार के यहाँ शादी में उनकी भेंट अभि और उसके जीजा जी से हुई , गुप्ता जी ने अभि को मिल कर पूरी तसल्ली कर ली थी। लड़का गुप्ता जी को ठीक लगा तो उन्होने घर आकर पिया को बुलाया और पूछा " बेटा अभि अच्छा लड़का है अपना छोटा सा व्यठसाय चलाता है।पढा लिखा भी है ,तू कहे तो बात आगे बढाऊं?"

पिया अभी भी चुप थी ।उसकी चुप्पी से गुप्ता जी को थोड़ी आशंका हुई ! उन्होने फिर से सवाल किया "तैरे मन में कोई और हो तो बता दे आजकल नया जमाना है लड़के लडकियां साथ पढते हैं , हमें कोई आपत्ति नही है बेटा ,मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है। "

पापा की बातों से पिया की चुप्पी टूटी और उसने बस इतना ही कहा " पापा ऐसी कोई बात नही है, मेरे मन में कोई नही है आप जिसको चुनेंगे मैं उसी से शादी करूंगी।" आप अभि के घरठालों से बात कर लीजिये,मेरी तरफ़ से हाँ है।

उधर काव्या सब बातें सुन रही थी। पापा के जाने के बाद वो पिया के पास आयी और बोली "दी आपने बिना देखे अभि को हाँ बोल दिया, ऐसे कौन करता है! कौन से ज़माने मे जी रही हो आप? कम से कम एक फोटो तो मंगवा ही लो।बिना देखे बिना मिले कोई शादी होती है?"

पिया कुछ बोलती इससे पहले ही काव्या ने जाकर पापा को बोल दिया के जीजा जी का फोटो मंगवा लो हम भी देख लेंगे कैसे दिखते हैं।

दो दिन बाद पोस्ट से अभि की फोटो आई दिखने में बस ठीक ठाक सा था बाकी कुछ ज्यादा उस फोटो से समझ भी नही आया। गुप्ता जी ने भी अभि के घरवालों को लड़की देखने का निमन्त्रण दे दिया था ।

आज सुबह से ही घर में चहल पहल थी।पिया को देखने वाले आ रहे थे/सभी लोग तैयारियों ये व्यस्त नज़र जा रहे थे/तथी डोर बैल बजी, अश्ि के घरवालों का आयगयन हुआ/

लेकिन यह क्या जिसका इन्तजार था दो तो आया ही नही? उसकी याँ बहन और जीजा जी आये थे।पूछने पर।कि अधि नही जाया तो अधि की या ने ज़लाब दिया अधि ने कहा है।कि "आप लोग देख लो आपको पसन्द तो मुझे थी पसन्द" /लेकिन काव्या को यह बात पसन्द नही अआर्ड /

सभी लोग पिया से मिल कर जा चुके थे।उनके जाने के कुछ देर बाद ही उनका ज़वाब आ गया। पिया को पसन्द कर लिया गया था।पापा और माँ बहुत खुश थे।

काव्या ने आकर पिया को बताया कि आप की शादी पक्की हो रही है, दीदी आपको कुछ अजीब नही लगा ,जीजू आपको देखने भी नही आये और हाँ बोल दिया,अब तो कुछ करो ।लेकिन पिया के चेहरे पर अब भी कोई भाठ नही थे ना ही उसने कुछ कहा।सगाई की तारीख निकाली गई और दोनों पक्ष के लोग तैयारियों में जुट गये।

सगाई का दिन भी आ गया था ,इस बीच कभी भी अभि ने पिया को फोन तक नही किया था।ना ही पिया ने बात करने की कोई कोशिश की थी।

आजपपिया #गार करकेकिसी परी से कय नही लग रही थी/अब बस जि के जाने का इन्तज़ार थ/थीड़ी देर में लड़के वाले ,ी जा गये थे और पिया को सगाई की रस्प के लिये बुलाया ग॒या/नज़रें नीची किये दो आथि के ठीक सामने बैठी हुई थी/जैसे ही पलकें उठा कर उसने अधि को देखा उसका दिल बैठ सा गया। वियाग स॒त्न सा हो गया/यन यें बस यही खयाल आ रहा थाकि यह क्या हो गया मुझसे.........

आखिर क्‍यों पिया के मन में शादी को लेकर कोई उत्साह नही है? अभि को देखकर उसका दिल क्‍यों बैठ गया?इन प्रश्नों के जठाब जानने के लिये कहानी का अगला भाग ज़रूर पढें।



Part 2

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं. ...

आज के टॉप 4 शेर (friday feeling best 4 sher collection)

आज के टॉप 4 शेर ऐ हिंदूओ मुसलमां आपस में इन दिनों तुम नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ - लाल चन्द फ़लक मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा - अल्लामा इक़बाल उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे - जिगर मुरादाबादी हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी - अहमद फ़राज़ साहिर लुधियानवी कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया कैफ़ी आज़मी इंसां की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद बशीर बद्र दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों वसीम बरेलवी आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी मीर तक़ी मीर बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो यां कि बहुत याद रहो - मीर तक़ी...

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे...