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Taqdeer Kismat shayari 2 line, Taqdeer Status, पेश हैं किस्मत पर शायराना अल्फ़ाज़

 

पेश हैं किस्मत पर शायराना अल्फ़ाज़

तक़दीर या किस्मत (Taqdeer shayari )वो है जिसके भरोसे पर न जाने कितनी उम्मीदें अपना दामन थामे बैठी रहती हैं कि किसी दिन किस्मत बदलेगी (kismat shayari in hindi) और अच्छा वक़्त आएगा। पेश हैं किस्मत पर शायराना अल्फ़ाज़- तक़दीर शायरी तक़दीर शायरी 2 लाइन्स किस्मत शायरी  तक़दीर शायरी स्टेटस 

 



वस्ल की बनती हैं इन बातों से तदबीरें कहीं
आरज़ूओं से फिरा करती हैं तक़दीरें कहीं
- हसरत मोहानी

 

 

हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका
सब बदल जाएगा क़िस्मत का लिखा जाम उठा
- बशीर बद्र

 

कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा
मुझे मालूम है क़िस्मत का लिखा भी बदलता है
- बशीर बद्र

 

 

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 Taqdeer shayari 2 line किस्मत शायरी इन हिंदी

 

 

 
अपने माथे की शिकन तुम से मिटाई न गई
अपनी तक़दीर के बल हम से निकाले न गए
- जलील मानिकपूरी

 

छेड़-छाड़ करता रहा मुझ से बहुत नसीब
मैं जीता तरकीब से हारा वही ग़रीब
- अख़्तर नज़्मी

 

 

 

taqdeer shayari status | तक़दीर शायरी इमेजेज

 

 

 

जुस्तुजू करनी हर इक अम्र में नादानी है
जो कि पेशानी पे लिक्खी है वो पेश आनी है
- इमाम बख़्श नासिख़

 

 
कब हँसा था जो ये कहते हो कि रोना होगा
हो रहेगा मेरी क़िस्मत में जो होना होगा
- अज्ञात

 

खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है
- फ़िराक़ गोरखपुरी

 

 


 

ख़ुदा तौफ़ीक़ देता है जिन्हें वो ये समझते हैं
कि ख़ुद अपने ही हाथों से बना करती हैं तक़दीरें
- अज्ञात

 

 taqdeer shayari images 

 

 

 
किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में
मेरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं
- अख़्तर सईद ख़ान

 

कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में
- बहादुर शाह ज़फ़र

 

 

क़िस्मत तो देख टूटी है जा कर कहाँ कमंद
कुछ दूर अपने हाथ से जब बाम रह गया
- क़ाएम चाँदपुरी

 

 

hindi  kismat shayari

 

 
बद-क़िस्मती को ये भी गवारा न हो सका
हम जिस पे मर मिटे वो हमारा न हो सका
- शकेब जलाली

 

बुलबुल को बाग़बाँ से न सय्याद से गिला
क़िस्मत में क़ैद थी लिखी फ़स्ल-ए-बहार में
- बहादुर शाह ज़फ़र

 

 

दौलत नहीं काम आती जो तक़दीर बुरी हो
क़ारून को भी अपना ख़ज़ाना नहीं मिलता
- मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

 

 
 
लिक्खा है जो तक़दीर में होगा वही ऐ दिल
शर्मिंदा न करना मुझे तू दस्त-ए-दुआ का
- आग़ा हज्जू शरफ़

 

मक़्बूल हों न हों ये मुक़द्दर की बात है
सज्दे किसी के दर पे किए जा रहा हूँ मैं
- जोश मलसियानी



न तो कुछ फ़िक्र में हासिल है न तदबीर में है
वही होता है जो इंसान की तक़दीर में है
- हैरत इलाहाबादी


रोज़ वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने को
मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है क़िस्मत मेरी
- जलील मानिकपूरी



तदबीर से क़िस्मत की बुराई नहीं जाती
बिगड़ी हुई तक़दीर बनाई नहीं जाती
- दाग़ देहलवी
 

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