सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

This is How to Make Lasoda Pickle and Vegetables ऐसे बनाएं लसोड़े का अचार और सब्जियां


This is How to Make Lasoda Pickle and Vegetables ऐसे बनाएं लसोड़े का अचार और सब्जियां
Lasoda Pickle and Vegetables

 

 

 

This is How to Make Lasoda Pickle and Vegetables ऐसे बनाएं लसोड़े का अचार और सब्जियां रमा हांफते हुए अंदर बैडरूम में दाखिल हुई और उन के पीछे मि. शाह झिझकते हुए अंदर आए. वह सुकेश के नजदीक गए और उस की कलाई अपने हाथ में ले कर उस की नब्ज देखने लगे.



हमारे आसपास कई ऐसे पेड़पौधे होते हैं, जिन्हें हम बेकार सम?ा कर ध्यान नहीं देते हैं, जबकि इस में से कुछ ऐसे होते हैं, जो सेहत का खजाना होते हैं. इन में से बहुत से ऐसे पौधे होते हैं, जिन के पत्ते, फलफूल, तना व छाल का उपयोग खाने के साथ ही औषधियों के रूप में भी किया जाता है. ऐसा ही एक खास पौधा है लसोड़ा, जिसे कैरी गुंदा, गोंदी, निशा, रेठू या टेंटी के नाम से भी जाना जाता है.

लसोड़े का पौधा हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित पूरे भारत में पाया जाता है. यह पोषक तत्त्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इस के फल सुपारी के समान होते हैं.

लसोड़े के कच्चे फलों की बहुत ही स्वादिष्ठ सब्जी और अचार बनाया जाता है. इस के पके हुए फल मीठे होते हैं और इस के अंदर चिकना और मीठा गोंद होता है.

ये भी पढ़ें-   Aaloo Kurma


लसोड़े के फल में मौजूद प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, फाइबर, आयरन, फास्फोरस व कैल्शियम की प्रचुर मात्रा पाई जाती है. बहुत सी जगहों पर लसोड़े के फलों को सुखा कर चूर्ण बनाया जाता है, जिसे मैदा, बेसन और घी के साथ मिला कर लड्डू बनाए जाते हैं.

इसे मांस से भी 10 गुना ज्यादा ताकतवर माना जाता है. इस का सेवन शरीर के लिए बहुत ही उत्तम और ताकत से भरपूर होता है.

लसोड़े में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और फास्फोरस होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है और शरीर को ताकत देता है. इस फल को खाने से शरीर में ताकत आती है और शरीर को कई अन्य बीमारियों से राहत मिलती है. इस फल का उपयोग मस्तिष्क को भी तेज करता है.



लसोड़ा खाने से शरीर में खून की कमी दूर होती है. इस की फल और पत्तियां महिलाओं में होने वाले कई रोगों के निदान में कारगर होती हैं.

इस सेहतमंद पौधे के कच्चे फल का बेहद लजीज अचार और सब्जियां बनाई जाती हैं. लसोड़े का स्वादिष्ठ अचार और जायकेदार सब्जी बनाने की विधि इस प्रकार है :

लसोड़े का अचार बनाने

के लिए जरूरी चीजें


अचार बनाने के लिए लसोड़े के साबुत कच्चे फलों का चयन करें. आधा किलोग्राम लसोड़े के फलों का अचार बनाने के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है, उस के लिए सब से पहले 1 छोटा चम्मच हलदी पाउडर, दरदरी पिसी 3 चम्मच राई या पीली सरसों, नमक स्वाद के मुताबिक, आधा कप सरसों का तेल, 2 छोटी चम्मच सौंफ, 1 छोटी चम्मच लाल मिर्च पाउडर, एकचौथाई चम्मच हींग, आधा चम्मच जीरा, आधा चम्मच अजवायन, एक से 2 कच्चे आम और एक चम्मच मेथी दाना की जरूरत पड़ती है.

अचार बनाने की विधि

लसोड़े का अचार बनाने के लिए सब से पहले उस के डंठल को तोड़ कर फलों से अलग कर लिया जाता है. इस के बाद फलों को साफ पानी से अच्छी तरह धो लेते हैं, फिर लसोड़े के फलों को उबालने के लिए ऐसे बरतन का चयन करते हैं, जिस में रखने के बाद लसोड़े पानी में अच्छी तरह डूब जाएं.

जब पानी में उबाल आने लगे, तभी उस पानी में लसोड़े डालते हैं. जब 3-4 मिनट तक लसोड़े उबल जाएं, तो उसे गैस से उतार कर ठंडा होने के लिए रख देते हैं. जब लसोड़े ठंडे हो जाएं, तो उसे पानी से निकाल कर अलग कर लेते हैं, जिस से उस का सारा पानी निकल जाए.

चूंकि लसोड़े के गूदे में चिपचिपा तरल गोंद भरा होता है. इसलिए सब से पहले इस के चिपचिपेपन को खत्म करने के लिए पानी में डाल कर कांजी बनाई जाती है.

यह कांजी एक तरह का पेय पदार्थ होता है, जो बेहद ही चटपटा और स्वादिष्ठ होता है. लसोड़े की कांजी बनाने के लिए सब से पहले एक

लिटर पानी लेते हैं, जिसे उबाल कर ठंडा कर लेना चाहिए.

इस के बाद इस उबाले गए पानी को कांच या प्लास्टिक के जार में डाल कर उस में उबाले गए लसोड़ों को डाल दिया जाता है.

इस के बाद इस में एक छोटी चम्मच हलदी पाउडर, नमक स्वादानुसार और लाल मिर्च पाउडर भी स्वादानुसार, पीली सरसों का पाउडर और सरसों का तेल मिलाया जाता है. लसोड़ों को इस घोल में मिला कर जार का ढक्कन बंद कर 3 से 4 दिन के लिए रख देते हैं, जिस से खट्टी कांजी बन कर तैयार हो जाती है.

लसोड़े की कांजी बनाने से उन के अंदर की गुठली का चिपचिपापन खत्म हो जाता है. लसोड़े से तैयार कांजी को हम पी भी सकते हैं या फिर चपाती, परांठे के साथ खा सकते हैं.

कांजी से अलग किए गए लसोड़े अब पूरी तरह से अचार बनाने के लिए तैयार होते हैं. इस के लिए सब से पहले इस को बीच से काट कर उस की गुठलियों को अलग कर लेते हैं.

अब इन लसोड़ों को सूखे कांच के जार में रख कर सरसों का तेल गरम करने के बाद उसे ठंडा कर लसोड़े में डाल देते हैं. तेल की मात्रा इतनी रखी जाती है, जितने में लसोड़े डूब जाएं.

इस के बाद इस में एक से दो कच्चे आम के गूदे को छील कर उस के गूदे को पीस लेते हैं और उस में दरदरे पीसे गए 2 चम्मच नमक, एक छोटी चम्मच हलदी पाउडर, 2 चम्मच मैथी दाना,  2 चम्मच पीली सरसों, 2 छोटी चम्मच अजवायन, 1 छोटी चम्मच लाल मिर्च और एकचौथाई छोटी चम्मच हींग को आम के पेस्ट के साथ मिला कर लसोड़े में मिला देते हैं. इस के बाद मसाले वाले साबुत लसोड़े के अचार को कुछ दिन धूप में रख देते हैं.

लसोड़े का यह तैयार अचार, जहां खाने में बेहद लजीज होता है, वहीं यह सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है.

अचार को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि अचार बनाते समय जो भी बरतन इस्तेमाल करें, वे सब सूखे और साफ हों.

अचार में किसी तरह की नमी और गंदगी नहीं जानी चाहिए. साथ ही, जब भी अचार को जार से निकालें, तो साफ और सूखे चम्मच का ही इस्तेमाल करें. इस के अलावा लसोड़े के अचार को 3 महीने में 1 दिन के लिए धूप दिखाना न भूलें.

लसोड़े की लजीज सब्जी


250 ग्राम लसोड़े की सब्जी बनाने के लिए जिन चीजों की जरूरत पड़ती है, उस में तेल  4 चम्मच, जीरा 1 चम्मच, अजवाइन आधा चम्मच, तेजपत्ता 2 पीस, आवश्यकतानुसार नमक, हलदी पाउडर आधा चम्मच, लाल मिर्च पाउडर 1 चम्मच, धनिया पाउडर 1 चम्मच, जीरा पाउडर 1 चम्मच, सौंफ पाउडर 1 चम्मच, हींग एक चुटकी और आधा चम्मच अमचूर पाउडर की जरूरत पड़ती है.



बनाने की विधि

सब से पहले लसोड़े के फलों के ऊपर की कैप को हटा लेते हैं. इस के बाद लसोड़े के फल को किसी बरतन में 2-3 कप पानी डाल कर उबाल लीजिए.

लसोड़े जल्दी उबलें, इस के लिए बरतन को ढक दीजिए. कोशिश करें कि लसोड़ों को नरम होने तक या 10 मिनट ढक कर उबालें. इस के बाद उबाले गए लसोड़ों को ठंडा होने के बाद काट कर उस की गुठलियों को अलग कर लेते हैं.

इस के बाद पैन या कड़ाही में जब तेल गरम हो जाए, तो इस में जीरा, अजवाइन, तेजपत्ता डाल कर हलका लाल कर लें. गैस धीमी कर लें, फिर लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, जीरा पाउडर, सौंफ पाउडर, अमचूर पाउडर, हलदी पाउडर डाल कर लसोड़े डाल दें.

सारी चीजों को अच्छी तरह मिक्स कर के धीमी आंच पर भूनें. उस के बाद स्वादानुसार नमक डालें. 5 मिनट धीमी आंच पर पकने दें.

लीजिए 5 मिनट बाद बन कर तैयार है स्वादिष्ठ मसालेदार लसोड़े की सब्जी. इसे भोजन की

थाली में साइड डिश की तरह परोसा जा सकता है.

इस सब्जी को किसी भी पिकनिक या यात्रा पर पूरी या परांठे के साथ ले जा कर खाने का भरपूर मजा ले सकते हैं.

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे