सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Hindi Romantic Kahani Tabahi तबाही


तबाही: आखिर क्या हुआ था 
Hindi Romantic Story Tabahi  उस तूफानी रात कोचेन्नई तो वैसे भी समुद्र के किनारे बसा शहर है, जहां कई झीलें थीं. उन झीलों पर कब्जा कर सड़कें व अपार्टमैंट बना दिए गए हैं.



Hindi Romantic Kahani Tabahi तबाही
तबाही कहानी इन हिंदी



Hindi Romantic Kahani Tabahi  सब कुछ पहले की तरह सामान्य होने लगा था. 1 सप्ताह से जिन दफ्तरों में काम बंद था, वे खुल गए थे. सड़कों पर आवाजाही पहले की तरह सामान्य होने लगी थी. तेज रफ्तार दौड़ने वाली गाडि़यां टूटीफूटी सड़कों पर रेंगती सी नजर आ रही थीं. सड़क किनारे हाकर फिर से अपनी रोजीरोटी कमाने के लिए दुकानें सजाने लगे थे. रोज कमा कर खाने वाले मजदूर व घरों में काम करने वाली महरियां फिर से रास्तों में नजर आने लगी थीं.

पिछले दिनों चेन्नई में चक्रवाती तूफान ने जो तबाही मचाई उस का मंजर सड़कों व कच्ची बस्तियों में अभी नजर आ रहा था. अभी भी कई जगहों में पानी भरा था. एअरपोर्ट बंद कर दिया गया था. पिछले दिनों चेन्नई में पानी कमरकमर तक सड़कों पर बह रहा था. सारी फोन लाइनें ठप्प पड़ी थीं, मोबाइल में नैटवर्क नहीं था. गाडि़यों के इंजनों में पानी चला गया था, जिस के चलते कार मालिकों को अपनी गाडि़यां वहीं छोड़ जाना पड़ा था. कई लोग शाम को दफ्तरों से रवाना हुए, तो अगली सुबह तक घर पहुंचे थे और कई तो पानी में ऐसे फंसे कि अगली सुबह तक भी न पहुंचे. कई कालेजों और यूनिवर्सिटीज में छात्रछात्राएं फंसे पड़े थे, जिन्हें नावों द्वारा सेना ने निकाला.  पूरे शहर में बिजली नहीं थी.



चेन्नई तो वैसे भी समुद्र के किनारे बसा शहर है, जहां कई झीलें थीं. उन झीलों पर कब्जा कर सड़कें व अपार्टमैंट बना दिए गए हैं. इन 7 दिनों में चेन्नई का दृश्य देख ऐसा मालूम होता था जैसे वे झीलें आक्रोश दिखा कर तबाही मचाते हुए अपना हक वापस मांग रही हों. चेन्नई की सड़कों पर हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा था.

निचले तबके के लोगों के घर तो पूरी तरह डूब चुके थे. लोग फुटपाथों पर अपने परिवारों के संग सोने को मजबूर थे और सुबह के वक्त जब पेट की आग तन को जलाने लगी, तो वे झपट पड़े एक छोटे रैस्टोरैंट मालिक पर खाने के लिए. क्या करते बेचारे जब बच्चे भूख से बिलख रहे हों. जेब में एक फूटी कौड़ी न हो तो इनसान जानवर बन ही जाएगा न. हर तरफ तबाही का मंजर था. रात के करीब 11 बजे थे. जिस को जहां जगह मिली उस ने वहीं शरण ले ली. ऊपर से मूसलाधार बारिश और नीचे समुद्र का साम्राज्य. ऐसे में दफ्तर से निकली रिया पैदल एक स्टोर की पार्किंग में पनाह के लिए आ खड़ी हुई. धीरेधीरे पार्किंग में 2-4 और लोग भी शरण लेने आ पहुंचे. तभी 2-4 लोग शराब के नशे में धुत्त वहां आ गए और फिर रिया से छेड़छाड़ करने लगे. वह समझ चुकी थी कि उसे वहां खतरा है, लेकिन करती भी क्या? आगे समुद्र की तरह हाहाकार मचाता पानी और पीछे जैसे देह के भूखे भेडि़ए. वे उसे ठीक वैसे ही घूर रहे थे जैसे जंगली जानवर ललचाई नजरों से अपने शिकार को देखते हैं. वहां खड़ी भीड़ यह सब देख रही थी और समझ भी रही थी, लेकिन गुंडेबदमाशों से पंगा कौन ले? अत: सब समझते हुए भी अनजान बने हुए थे.

वहीं भीड़ में खड़े आकाश से यह सब होते देखा न गया तो वह बोल पड़ा, ‘‘अरे भाई साहब क्यों परेशान कर रहे हैं आप इन्हें? पहले ही पानी ने इतनी तबाही मचाई है, ऊपर से आप लोग एक अकेली लड़की को परेशान कर रहे हैं.’’



बस फिर क्या था. अब आफत आकाश पर आन पड़ी थी. उन शराबियों में से एक बोला, ‘‘तू कौन लगता है इस का? क्या लगती है यह तेरी? बड़ी फिक्र है तुझे इस की?’’ और फिर उस लड़की को छूते हुए बोला, ‘‘क्या छूने से घिस गई यह? अब बोल तू क्या कर लेगा? और छुएंगे इसे बोल क्या करेगा तू?’’

आसपास के सभी लोग सहमे से खड़े तमाशा देख रहे थे. सब देख कर भी नजरें इधरउधर घुमा रहे थे. कोई अपनी जान जोखिम में नहीं डालना चाहता था.

रिया घबराई, सहमी सी आकाश के पीछे खड़ी हुई. आकाश ही उस का एकमात्र सहारा है, यह वह जान चुकी थी. अब तो उन शराबियों की हरकतें और बढ़ गईं.

आकाश ने रिया को घबराते देख कहा, ‘‘जब तक मैं हूं तुम्हें कुछ नहीं होगा. तुम डरो नहीं.’’

रिया सिर्फ  रोए जा रही थी. अब तो उन शराबियों ने आकाश के साथ हाथापाई भी शुरू कर दी.

तभी भीड़ में से कुछ लोग आकाश का साथ देने लगे और रिया को घेर कर खड़े हो गए ताकि वे उसे परेशान न कर सकें. शराबियों को अब आकाश से मुकाबला करना भारी पड़ रहा था. उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे आकाश के कारण आज उन का शिकार उन के पंजे से छूट गया.

ये भी पढ़ें- Hasi Majak 

वे आकाश को गालियां दे रहे थे. तभी उन शराबियों में से एक ने छुरा निकाल कर आकाश के सीने में 5-6 वार कर दिए उसे बुरी तरह जख्मी कर वहां से भाग निकले. किसी के मुंह से खौफ के मारे उफ तक न निकली. ऐसी तबाही में आकाश को अस्पताल पहुंचाते भी तो कैसे? जैसेतैसे एक नाव का इंतजाम किया और उसे अस्पताल ले जाया गया. उस के शरीर से बहुत खून बह चुका था. डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.

आकाश चेन्नई में सौफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत था और उस का परिवार मुंबई में रहता था. उसे कंपनी ने तबादले पर यहां भेजा था. मैं और आकाश एक ही दफ्तर में कार्य करते थे. जब मैं ने उस की मौत की खबर अखबारों में पढ़ी तो मुझ से रहा न गया और मैं अगले ही दिन मुंबई चल दी. ताकि उस के परिवार वालों को सांत्वना दे सकूं.

मुंबई पहुंची तो आकाश के घर में मातम पसरा था. उस के बच्चों के आंसू रोके न रुकते थे और उस की पत्नी वह तो स्वयं तबाही का एक मंजर लग रही थी. मैं मन ही मन कुदरत से पूछती रही कि अच्छे काम का तो इनाम मिलता है. तो फिर यह कैसी सजा मिली है आकाश व उस के परिवार को? एक असहाय लड़की की इज्जत को तबाह होने से बचाने की यह सजा? आखिर क्यों?

आकाश के घर में ऐसा हाहाकार मचा था मानो धरती का करूण हृदय भी फूट पड़े और आंसुओं की अविरल धारा में सारा शहर समा जाए. चेन्नई में तो तबाही के बाद जनजीवन सामान्य होने लगा था, किंतु वह तबाही जो चेन्नई से मुंबई आकाश के घर पहुंची थी शायद कभी सामान्य न हो. झीलें तो शायद अपना हक हाहाकार मचा कर मांग रही थीं, किंतु आकाश की पत्नी अपना हक किस से मांगे? क्या कोई लौटा सकता है उन बच्चों के पिता को? आकाश को?

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक दिन अचानक हिंदी कहानी, Hindi Kahani Ek Din Achanak

एक दिन अचानक दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना. Hindi Kahani Ek Din Achanak लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

Hindi Family Story Big Brother Part 1 to 3

  Hindi kahani big brother बड़े भैया-भाग 1: स्मिता अपने भाई से कौन सी बात कहने से डर रही थी जब एक दिन अचानक स्मिता ससुराल को छोड़ कर बड़े भैया के घर आ गई, तब भैया की अनुभवी आंखें सबकुछ समझ गईं. अश्विनी कुमार भटनागर बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’ स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’ ‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा. ‘‘जी.’’ ‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा. ‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया. ‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही

Maa Ki Shaadi मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था?

मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? मां की शादी- भाग 1: समीर अपनी बेटी को क्या बनाना चाहता था? समीर की मृत्यु के बाद मीरा के जीवन का एकमात्र मकसद था समीरा को सुखद भविष्य देना. लेकिन मीरा नहीं जानती थी कि समीरा भी अपनी मां की खुशियों को नए पंख देना चाहती थी. संध्या समीर और मैं ने, परिवारों के विरोध के बावजूद प्रेमविवाह किया था. एकदूसरे को पा कर हम बेहद खुश थे. समीर बैंक मैनेजर थे. बेहद हंसमुख एवं मिलनसार स्वभाव के थे. मेरे हर काम में दिलचस्पी तो लेते ही थे, हर संभव मदद भी करते थे, यहां तक कि मेरे कालेज संबंधी कामों में भी पूरी मदद करते थे. कई बार तो उन के उपयोगी टिप्स से मेरे लेक्चर में नई जान आ जाती थी. शादी के 4 वर्षों बाद मैं ने प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया. उस के नामकरण के लिए मैं ने समीरा नाम सुझाया. समीर और मीरा की समीरा. समीर प्रफुल्लित होते हुए बोले, ‘‘यार, तुम ने तो बहुत बढि़या नामकरण कर दिया. जैसे यह हम दोनों का रूप है उसी तरह इस के नाम में हम दोनों का नाम भी समाहित है.’’ समीरा को प्यार से हम सोमू पुकारते, उस के जन्म के बाद मैं ने दोनों परिवारों मे