Selected Sheikh Ibrahim Zauq Shayari Collection In Hindi - पढ़ें चुनिंदा शेर शेख़ इब्राहीम ज़ौक़ | Hindishayarih
sheikh ibrahim zauq चुंनिदा शायरी
कहने न पाए उस से सारी हक़ीक़त इक दिन
आधी कभी सुनाई आधी कभी सुनाई
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे
मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएँगे
बेहतर तो है यही कि न दुनिया से दिल लगे
पर क्या करें जो काम न बे-दिल-लगी चले
किसी बेकस को ऐ बेदाद गर मारा तो क्या मारा
जो आप ही मर रहा हो उस को गर मारा तो क्या मारा
बीमार-ए-मोहब्बत ने लिया तेरे सँभाला
लेकिन वो सँभाले से सँभल जाए तो अच्छा
कोई घड़ी अगर वो मुलाएम हुए तो क्या
कह बैठेंगे फिर एक कड़ी दो घड़ी के बाद
चुपके चुपके ग़म का खाना कोई हम से सीख जाए
जी ही जी में तिलमिलाना कोई हम से सीख जाए
देख छोटों को है अल्लाह बड़ाई देता
आसमाँ आँख के तिल में है दिखाई देता
एक आँसू ने डुबोया मुझ को उन की बज़्म में
बूँद भर पानी से सारी आबरू पानी हुई
फिर मुझे ले चला उधर देखो
दिल-ए-ख़ाना-ख़राब की बातें
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