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Kedarnath Agarwal Hindi Poems केदार नाथ सिंह की famous कविताएं

केदार नाथ सिंह की famous कविताएं
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Famous hindi poetry of  kedarnath singh

माँ मेरे अकेलेपन के बारे में सोच रही है
पानी गिर नहीं रहा
पर गिर सकता है किसी भी समय
मुझे बाहर जाना है
और माँ चुप है कि मुझे बाहर जाना है
यह तय है





कि मैं बाहर जाऊँगा तो माँ को भूल जाऊँगा
जैसे मैं भूल जाऊँगा उसकी कटोरी
उसका गिलास
वह सफेद साड़ी जिसमें काली किनारी है
मैं एकदम भूल जाऊँगा
जिसे इस समूची दुनिया में माँ
और सिर्फ मेरी माँ पहनती है





उसके बाद सर्दियाँ आ जाएँगी
और मैंने देखा है कि सर्दियाँ जब भी आती हैं
तो माँ थोड़ा और झुक जाती है
अपनी परछाईं की तरफ
ऊन के बारे में उसके विचार
बहुत सख्त है
मृत्यु के बारे में बेहद कोमल
पक्षियों के बारे में
वह कभी कुछ नहीं कहती
हालाँकि नींद में
वह खुद एक पक्षी की तरह लगती है




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जब वह बहुत ज्यादा थक जाती है
तो उठा लेती है सुई और तागा
मैंने देखा है कि जब सब सो जाते हैं
तो सुई चलाने वाले उसके हाथ
देर रात तक
समय को धीरे-धीरे सिलते हैं
जैसे वह मेरा फटा हुआ कुर्ता हो





पिछले साठ बरसों से
एक सुई और तागे के बीच
दबी हुई है माँ
हालाँकि वह खुद एक करघा है
जिस पर साठ बरस बुने गए हैं
धीरे-धीरे तह पर तह
खूब मोटे और गझिन और खुरदुरे
साठ बरस





तो मैंने भागीरथी से कहा
मां,
मां का खयाल रखना
उसे सिर्फ भोजपुरी आती है।

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अगर इस बस्ती से गुज़रो
तो जो बैठे हों चुप
उन्हें सुनने की कोशिश करना
उन्हें घटना याद है
पर वे बोलना भूल गए हैं।
 




पत्तों की तरह बोलते
तने की तरह चुप
एक ठिंगने से चीनी भिक्खु थे वे
जिन्हें उस जनपद के लोग कहते थे
चीना बाबा


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कब आए थे रामाभार स्तूप पर
यह कोई नहीं जानता था
पर जानना जरूरी भी नहीं था
उनके लिए तो बस इतना ही बहुत था
कि वहाँ स्तूप पर खड़ा है
चिड़ियों से जगरमगर एक युवा बरगद
बरगद पर मचान है
और मचान पर रहते हैं वे
जाने कितने समय से





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